धरती
मै बताता हूँ.
धरती ने इक आग का गोला
निगल लिया था
और
वो जलती रही
भीतर ही भीतर.
ताकि
तुम पर आंच ना आये.
पर उसकी छाती को
इतना न कोंचो
कि
वो उगलने पर
मजबूर हो जाये.
- वाणभट्ट
एक नाम से ज्यादा कुछ भी नहीं...पहचान का प्रतीक...सादे पन्नों पर लिख कर नाम...स्वीकारता हूँ अपने अस्तित्व को...सच के साथ हूँ...ईमानदार आवाज़ हूँ...बुराई के खिलाफ हूँ...अदना इंसान हूँ...जो सिर्फ इंसानों से मिलता है...और...सिर्फ और सिर्फ इंसानियत पर मिटता है...
मेडिकल साइंस का और कुछ लाभ हुआ हो न हुआ हो, आदमी का इलाज जन्म के पहले से शुरू होता है और जन्म के बाद मरने तक चलता रहता है. तुर्रा ये है कि म...
सही बात है.. किसी भी चीज़ की अति खराब ही होती है और अगर वो प्रकृति से जुड़ी हो तो भयंकर हो सकती है,...
जवाब देंहटाएंतीन साल ब्लॉगिंग के पे आपकी टिपण्णी का इंतज़ार है
आभार