शनिवार, 31 अगस्त 2024

महसूस तो करते हो ना...

रिश्तों का तकाज़ा है कि निभाये जायें
इक तरफ़ा कब तक ये भी तो बतायें

बहुत आसान है दूसरे को दोष दे देना 
अपनी गलती हो तो कभी मान जायें 

अब बहस की भी गुंजाईश नहीं रहती 
जब कोई बोले तो हम भी कुछ सुनायें 

आसमाँ में उड़ने का चलन छूट चुका है 
पिंजरे में आज़ादी का चलो जश्न मनायें 

कोई किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता 
है कोई शुबहा तो दोस्तों को आजमायें 

'वाणभट्ट' रखना राब्ता दिल का दिल से 
दानिशमंद जमाने में जायें तो कहाँ जायें  

-वाणभट्ट

बुधवार, 14 अगस्त 2024

सुख

सबको तलाश है

सुख की

सब खोज रहे हैं 

अपना-अपना सुख 


या ये कहें कि 

सबको मिल ही जाता है 

अपना-अपना सुख

लेकिन दूसरे के सुख से 

हमेशा कुछ कम 

दूसरे के सुख की बराबरी में 

कुछ और सुख इकठ्ठा करने में 

लग जाते हैं हम 


इस प्रयास में 

ना जाने कितने सुख

हमने इकठ्ठा किये

लेकिन हर बार दूसरे का पड़ला भारी रहा 

पड़ले के दूसरे सिरे पर जो बैठा है न 

उसको भी ऐसा ही लगता है

फिर शुरू होती है 

एक अंतहीन दौड़ 

एक-दूसरे से आगे निकल जाने की


सुख जितना इकठ्ठा होता है 

दुःख उतना बढ़ता जाता है 

तेरा एक नया सुख

देता है जन्म मेरे एक नये दुःख को 

एक दिन बुद्ध चेतना से 

चलता है पता 

मेरे दुःख का मूल है 

दूसरे का सुख 


अब जब भी करता हूँ सचेत प्रयास

सुख दूसरे को देने का 

घटता नहीं 

बढ़ जाता है मेरा सुख 

शायद मनुष्य ही वह प्राणी है 

जो अपने आस पास ख़ुशी बिखेर के 

सुखी होता है 


अपनी नाव जब डूबने लगे 

अपने ही सुख के बोझ से 

तो 

आते हैं याद कबीर


'जो जल बाडै नाव में 

घर में बाढ़े दाम

दोउ हाथ उलीचिये

यही सज्जन को काम'


-वाणभट्ट

पंख

एक्सलरेटर को हल्का सा ऐंठा ही था कि स्कूटर हवा से बातें करने लगा. फोर स्ट्रोक वाली हीरो-होण्डा चलाने वाले को पिकअप से संतोष करना ही पड़ता है...