मनोज जी के लिए...सादर...
कुछ न कर पायेगी इस इम्प्रेशन में है
मेरी लेखनी इन दिनों डिप्रेशन में है
एक सर पर बोझ कितना बढ़ गया
समझती नहीं, खोपड़ी कम्प्रेशन में है
मंहगाई और भ्रष्टाचार हैं सुरसा का मुख
आम आदमी किस कदर टेंशन में है
कहती है रूमानियत लिखवा लो मुझसे
ज़िन्दगी जीने का मज़ा बस इमोशन में है
दुनिया के दुःख भूल मज़ा चाहते हैं सब
लेखनी भी अपनी इस कैलकुलेशन में है
धड़कता था दिल कभी प्यार के नाम पर
आवाज़ भी नहीं करता, अब वाइब्रेशन में है
कलम-दावत पूज कर, मनाया इसको
देख ये हसीना, अब कितने टशन में है
- वाणभट्ट