गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

मैगी बच्चे

मैगी बच्चे

ज़र्द हो गए पत्तों से,
इक हवा के इंतज़ार में.
जीवन से लटके,
ये वृद्ध नहीं बच्चे.
असमय ही वृद्ध और बीमार हो गए.
मौसम से पहले ही,
पतझड़ का शिकार हो गए.

- वाणभट्ट 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...

आईने में वो

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. स्कूल में समाजशास्त्र सम्बन्धी विषय के निबन्धों की यह अमूमन पहली पंक्ति हुआ करती थी. सामाजिक उत्थान और पतन के व...