मैगी बच्चे
ज़र्द हो गए पत्तों से,
इक हवा के इंतज़ार में.
जीवन से लटके,
ये वृद्ध नहीं बच्चे.
असमय ही वृद्ध और बीमार हो गए.
मौसम से पहले ही,
पतझड़ का शिकार हो गए.
- वाणभट्ट
एक नाम से ज्यादा कुछ भी नहीं...पहचान का प्रतीक...सादे पन्नों पर लिख कर नाम...स्वीकारता हूँ अपने अस्तित्व को...सच के साथ हूँ...ईमानदार आवाज़ हूँ...बुराई के खिलाफ हूँ...अदना इंसान हूँ...जो सिर्फ इंसानों से मिलता है...और...सिर्फ और सिर्फ इंसानियत पर मिटता है...
प्रिंसिपल साहब जब भी उसके सामने पड़ जाते, उसकी आदत थी कि पूरी विनम्रता और आदर के साथ हाथ जोड़ कर अभिवादन करना. वैसे वो सत्ता और शक्ति से दूर र...
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