शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

सन्नाटे बोलते हैं

सन्नाटे बोलते हैं

अभी कुछ बोलने का वक्त नहीं है,
सुनो तो, ये राज खोलते हैं.
एक तूफ़ान गुज़रा है.
एक मुहाने पर थमा है.

सड़कों की वीरानी
माँओं  की हैरानी
बापों की पेशानी
बताती है.

आसमान की रंगत
हवाओं की गर्मी
और
समय की करवट
बताती है.

कि
सन्नाटा गुज़र रहा है बिना आहट किये.
इसे टोकना नहीं गुज़र जाने दो.
ठीक नहीं इसका, ठहरना.

- वाणभट्ट

5 टिप्‍पणियां:

  1. मन की उथल पुथल को शब्दों में बांधने के लिए आभार

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  2. अभी कुछ बोलने का वक्त नहीं है,
    सुनो तो, ये राज खोलते हैं.
    एक तूफ़ान गुज़रा है.
    एक मुहाने पर थमा है.सन्नाटे बोलते है जिन्हें आप ने शब्दों में पिरो दिया......

    जवाब देंहटाएं
  3. कि
    सन्नाटा गुज़र रहा है बिना आहट किये.
    इसे टोकना नहीं गुज़र जाने दो.
    ठीक नहीं इसका, ठहरना.

    क्यूँ कि......

    "सन्नाटे बोलते हैं"

    जवाब देंहटाएं

यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...

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