सोमवार, 20 मई 2024

जाना तेरा

तुम्हारी तरह
जाना तो हमको भी है
किसी दिन अचानक
बिन बताये 

ये जो दुनिया में डूबे हैं
तो बस इस उम्मीद में
कि चार से कुछ ज्यादा कंधे हों
वैसे चार भी कम नहीं हैं

उम्मीद तो ये भी है
कि कुछ आँखें नम हों
कुछ आँसू सूख जाएं गालों पर 
चन्द दिन बसें यादों में कुछ लोगों की

श्रद्धांजलि के कुछ शब्द पहुंचे
बच्चों तक कि कुछ पल को
उन्हें लगे सफल होना
एक असफल जीवन का

- वाणभट्ट

1 टिप्पणी:

  1. जाना शाश्वत सत्य है।यही भाव सबके मन मे रहता है परंतु कल किसने देखा है।सुंदर अभिव्यक्ति👌👌💐

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यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...

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