गुरुवार, 7 जुलाई 2011

कवि की बेबसी

कवि की बेबसी 

शब्द जब कागज़ पर आकार लेते हैं
सच कहता हूँ
सृजन का गहन दर्द देते हैं



ऐ कवि तू अभिशप्त है
अपना स्वर्ग छोड़ कर
दूसरों का नर्क भोगने को

और वो जीवन जीने को
जो तेरा अपना नहीं 


देश-काल की चिंता में 
हर कोई घुलता नहीं
गरीबों का देश है
मसीहा मिलता नहीं 

कलम कुछ कर सकेगी
ये वहम मत पाल
बहरे कानों को ऊंची आवाज़ की आदत है
सब खुश हैं तू कुछ मुस्करा
गाते हैं सब तू गुनगुना

अफसाने बुनना छोड़
अपने स्वर्ग से नाता जोड़
और देख
दुनिया जगमगाती है
बेबसी सिर्फ़ तेरी ही नहीं इनकी भी है

खुश रहना इनकी बेबसी है
क्योंकि 
और भी गम हैं ज़माने में

अब जब तू शब्दों को आकार दे
उसमें बेबसी नहीं
अपना प्यार दे

वाणभट्ट 

24 टिप्‍पणियां:

  1. शब्दों को सच्चे मन से लिखना ही सच्चा प्यार है।

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  2. देश-काल की चिंता में
    हर कोई घुलता नहीं
    गरीबों का देश है
    मसीहा मिलता नहीं


    एक एक पंक्ति में कवि ह्रदय का दर्द दिखता है

    बहुत सही कहा है आपने ....पर जो किसी के दर्द को महसूस भी करता है तो .....उसे सिर्फ धोखे का मुहं देखना पड़ता है

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  3. शब्द जब कागज़ पर आकार लेते हैं
    सच कहता हूँ
    सृजन का गहन दर्द देते हैं

    Behtreen Panktiyan... Vicharniy bhav liye rachna

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  4. कलम कुछ कर सकेगी
    ये वहम मत पाल
    बहरे कानों को ऊंची आवाज़ की आदत है
    सब खुश हैं तू कुछ मुस्करा
    गाते हैं सब तू गुनगुना

    कवि के दर्द को कहती अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. शब्द जब कागज़ पर आकार लेते हैं
    सच कहता हूँ
    सृजन का गहन दर्द देते हैं

    एक एक पंक्ति में कवि ह्रदय का दर्द दिखता है|

    जवाब देंहटाएं
  6. शब्द जब कागज़ पर आकार लेते हैं
    सच कहता हूँ
    सृजन का गहन दर्द देते हैं.... असह्य वेदना के पश्चात कुछ कह पाते हैं

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  7. ek kavi hardaya ka dard bayan karti hai kavita kuch bhi ho kalam majboor nahi ho sakta pyar aur dard to do pahloo hai sikke ke.bahut achcha likhte ho aap.

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  8. सच्चे कवि हृदय की जीवंत प्रस्तुति - लाजवाब

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  9. Shabdon ko bebasee men mat dhal apna pyar de . Kawi man ko sahee sseekh.

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  10. शब्दों का खूबसूरत इस्तेमाल करते हुए सुंदर भाव संजोये है आपने...

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  11. कवी के कोमल मन की जिद्द है ये ... दूसरों का दर्द झेलना चाहता है ... नहीं तो प्यार के शब्दों की भी कमी नहीं है ...

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  12. कवि के दर्द को बखूबी उकेरा है आपने अपनी कविता में.बहुत खूब.

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  13. अब जब तू शब्दों को आकार दे
    उसमें बेबसी नहीं
    अपना प्यार दे


    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

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  14. देश-काल की चिंता में
    हर कोई घुलता नहीं
    गरीबों का देश है
    मसीहा मिलता नहीं

    कलम कुछ कर सकेगी
    ये वहम मत पाल

    सही कहा है आपने, पर
    कवि तो अपने मन की करता है इसे कौन समझाये ।

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  15. बाणभट्ट जी बहुत सुंदर कविता बधाई और शुभकामनाएं |

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  16. देश-काल की चिंता में
    हर कोई घुलता नहीं
    गरीबों का देश है
    मसीहा मिलता नहीं

    कलम कुछ कर सकेगी
    ये वहम मत पाल
    बहरे कानों को ऊंची आवाज़ की आदत है...

    सच्चाई बताती हुई एक इमानदार रचना ! अति सराहनीय.

    .

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  17. संवेदनशील दिल की आज वाकई कद्र नहीं ! अपने लिए जीना सफल माना जाता है ...
    शुभकामनायें आपको !

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  18. जिसके सीने में दर्द नहीं वो कवि भी नहीं..सही शब्द दिया है..अच्छा लिखा है.

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  19. सब तो कह दिया आपने...


    ऐ कवि तू अभिशप्त है
    अपना स्वर्ग छोड़ कर
    दूसरों का नर्क भोगने को


    -एकदम सटीक!!

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  20. शब्द जब कागज़ पर आकार लेते हैं
    सच कहता हूँ
    सृजन का गहन दर्द देते हैं
    सुन्दरता से सत्य व्यक्त हुआ है!

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यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...

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