शनिवार, 23 जुलाई 2011

एक गुज़ारिश

एक गुज़ारिश है,
छोटी सी.

जब इन शब्दों को पढना,
इन्हें,
गुलज़ार की आवाज़ में सुनने की कोशिश करना.

चमकते वर्क के नीचे से,
कई मायने निकल आयेंगे.
कई आयामों में,
शब्दों की गहराइयाँ,
महसूस करोगे.

ये करिश्मा है शब्दों का
या
आवाज़ का जादू,
कि
गरमागरम
अल्फाज़  दिल से निकलते हैं,
धड़कन की तरह,
और बर्फ कि तरह जम जाते हैं
अन्दर, सीने के भीतर.

गर तुम कर सको तो ऐसा ज़रूर करना.
वर्ना,
हज़ारों ख्वाहिशों में,
एक ख्वाहिश,
ये भी सही.

- वाणभट्ट


9 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति| आभार|

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  2. अजी बर्फ़ को झेल कर आये है।

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  3. शब्द गीत है ,शब्द प्यार है ..शब्द संसार है
    शब्द है तो हम सब है ....शब्द के बिना सुना ये
    सूना सूना ह्रदय है हम सब का
    -- शब्दों के खेल में सिमटी ये
    दुनिया सारी...............आभार

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  4. भाई वाणभट्ट जी यह बहुत ही सुन्दर कविता है बहुत -बहुत बधाई |

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  5. कोई भी संगीत सुनने पर शब्दों और आवाज़ का जादू दिल में कहीं गहरे उतर जाता है ! सच है ! बहुत खूबसूरती से आपने बात प्रस्तुत की है इस कविता में ।

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  6. चमकते वर्क के नीचे से,
    कई मायने निकल आयेंगे.
    कई आयामों में,
    शब्दों की गहराइयाँ,
    महसूस करोगे.

    बहुत सुन्दर...आपका भाव-स्वर गुलज़ार से भी ऊंचा है...

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  7. sachmuch agar gulzar ise awaaz de de to...kamaal ho jaaye...


    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...

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