अविश्वास
थका सा
अविश्वास
तुम्हारे चेहर पे ठहर जाता है
कुछ क्षण को.
तुम सोचती हो
मेरे बारे में.
जबकि मै जानता हूँ
खुद को,
और तुम्हें भी.
तुम्हें चिंतित देख
आश्वस्त हूँ
कि
ये स्वाभाविक भी है.
फिर भी,
तुम्हारे अविश्वास को
जीतने के लिए
आवश्यक है
थोड़ी दूरी.
हमारे बीच.
- वाणभट्ट