रविवार, 1 मई 2011

हमारी विरासत

हमारी विरासत 

जिंदगी के दस्तावेज़ 
रख दो सम्हाल के 
कि
आने वाली जिंदगियाँ 
आसान हो जाये.


तुम्हारी दुश्वारियां, 
मत समझो, 
बेकार जायेंगी.
पड़ीं हैं जो
मुश्किलें तुम पर,
समय के हर पड़ावों पर,
किसी के काम आएँगी.

लिख के रख दो
कि
तुमने कहाँ-कहाँ ठोकरें खाईं. 
कैसे डूब कर उबरे, 
कैसे खींच कर किश्ती 
समंदर 
से 
किनारों तक लायीं. 
कैसे डूबते तारों को, 
भयावह स्वप्न सा देखा.
कैसे उगते सूरज से तुमने,
प्रेरणा पाई.

बांटो अपने तजुर्बे,
हर किसी से
कि
ये ही एक विरासत है.
जिसे 
हम सहेज सकते हैं.
आने वाली नस्लों
के लिए 
कोई लीक दे सकते हैं.

बड़े ही कारगर लगते हैं 
अब नुस्खे ये.
अनुभवों के थपेड़ों से,
खुद खोजे थे ये रस्ते.

जिंदगी गलतियाँ करने का, 
भला कब वक्त देती है.
उतर जाये जो पटरी से,
तो काफी वक्त लेती है.

इतनी सारी गलतियाँ,
इतना छोटा जीवन.
गलतियाँ करना 
और 
करके सीखने के लिए 
बहुत 
कम है जिंदगी एक.

इसलिए 
सिर्फ इसलिए
गलतियों का अपनी
पुलिंदा बना दीजिये
और बड़ी-बड़ी इबारतों में लिखवा दीजिये
कि
इस रस्ते से जाना मना है
आगे बड़ा खतरा है
शायद
कोई इन पुलिंदों को पलटे
और कुछ गलतियों से बच जाये

लेकिन फर्स्ट हैण्ड तजुर्बे के बिना
जिंदगी कुछ डल
कुछ बोझिल तो न हो जाएगी

खैर हम अपना काम करते हैं
जिंदगी गलतियों के दस्तावेजों को
कलम देते हैं
पढना, न पढना अगली नस्लों के हिस्से है

हमने भी कहाँ टटोले थे 
पिछले दस्तावेज़.
नहीं तो जिंदगी
कितनी आसां होती?

- वाणभट्ट 








7 टिप्‍पणियां:

  1. दस्तावेजीकरण जरुरी हो गया है अब....

    अच्छी रचना...

    जवाब देंहटाएं
  2. ज़िंदगी में
    अनुभवों के दस्तावेज़ के महत्त्व को
    प्रमाणित करती हुई
    अनूठी रचना ....
    शिल्प और शैली भी प्रभावित करते हैं .
    dkmuflis.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. हम अपना काम करते हैं
    जिंदगी गलतियों के दस्तावेजों को
    कलम देते हैं
    पढना, न पढना अगली नस्लों के हिस्से है
    superb ....

    जवाब देंहटाएं
  4. इतनी खूबसूरत पक्तियां... क्या कहूँ ...बहुत अच्छी लगीं ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सही है नजरिया...
    कोई ज्ञान ले या न ले हम तो दस्तावेज बनाकर अगलों के लिये रख ही दें ।

    जवाब देंहटाएं
  6. हम अपना काम करते हैं
    जिंदगी गलतियों के दस्तावेजों को
    कलम देते हैं
    पढना, न पढना अगली नस्लों के हिस्से है bilkul sahi hai hame to apna kam karna hai....sunder rachna..

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं

यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...

आईने में वो

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. स्कूल में समाजशास्त्र सम्बन्धी विषय के निबन्धों की यह अमूमन पहली पंक्ति हुआ करती थी. सामाजिक उत्थान और पतन के व...