आंसू
इतने बुरे भी नहीं आंसू
कि
उन्हें निकाल बाहर फ़ेंक दें.
अन्दर रहे
तो दर्द देंगे.
पर
बाहर आ गए
तो देंगे
दर्द
ज़माने भर का.
- वाणभट्ट
एक नाम से ज्यादा कुछ भी नहीं...पहचान का प्रतीक...सादे पन्नों पर लिख कर नाम...स्वीकारता हूँ अपने अस्तित्व को...सच के साथ हूँ...ईमानदार आवाज़ हूँ...बुराई के खिलाफ हूँ...अदना इंसान हूँ...जो सिर्फ इंसानों से मिलता है...और...सिर्फ और सिर्फ इंसानियत पर मिटता है...
हमारे हिन्दू बाहुल्य देश में धर्म का आधार बहुत ही अध्यात्मिक, नैतिक और आदर्शवादी रहा है. ऊँचे जीवन मूल्यों को जीना आसान नहीं होता. जो धर्म य...
वाकई, बाहर आकर ज्यादा दर्द देंगे ये आंसू.
जवाब देंहटाएंaansoon ko bheetar rakh kar aur doosare dard ke raste band rakhate hai..sunder..
जवाब देंहटाएंपर
जवाब देंहटाएंबाहर आ गए
तो देंगे
दर्द
ज़माने भर का.
बहुत बढ़िया ..... कम शब्दों में गहरी बात
बेबसी के आलम का
जवाब देंहटाएंमुख़्तसर अलफ़ाज़ में
सटीक इज़हार ..... !!
बहुत शानदार!
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
राम-राम जी,
जवाब देंहटाएंजब दर्द नहीं हो सीने में, तब खाख मजा है जीने में,
जब आंसू नहीं हो आँखों में, तब पता कैसे चले जज्बातों का?