गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

आंसू

आंसू

इतने बुरे भी नहीं आंसू
कि
उन्हें निकाल बाहर फ़ेंक दें.
अन्दर रहे
तो दर्द देंगे.
पर
बाहर आ गए
तो देंगे
दर्द 
ज़माने भर का. 

- वाणभट्ट 


6 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई, बाहर आकर ज्यादा दर्द देंगे ये आंसू.

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  2. aansoon ko bheetar rakh kar aur doosare dard ke raste band rakhate hai..sunder..

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  3. पर
    बाहर आ गए
    तो देंगे
    दर्द
    ज़माने भर का.


    बहुत बढ़िया ..... कम शब्दों में गहरी बात

    जवाब देंहटाएं
  4. बेबसी के आलम का
    मुख़्तसर अलफ़ाज़ में
    सटीक इज़हार ..... !!

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  5. राम-राम जी,
    जब दर्द नहीं हो सीने में, तब खाख मजा है जीने में,
    जब आंसू नहीं हो आँखों में, तब पता कैसे चले जज्बातों का?

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यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...

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