गुरुवार, 4 नवंबर 2010

दो शब्द

दो शब्द

जुबां कलाम
दिल सद्दाम
रहनुमाओं ने
रचा स्वांग

वतन में
आज़ादी कैसी
देशी अँगरेज़
भाषा अंग्रेजी

नहीं रहे
सर ऊँचा
जो जिए
सर झुका

अंजन - इंजन
विदेशी तकनीकें
अपनी तो
केवल मूंछें

- वाणभट्ट

2 टिप्‍पणियां:

यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...

नई वाली हिन्दी

मोटरसायकिल को साइड स्टैंड पर खड़ा करके वो न जाने कहां लपक लिया. पता नहीं क्या जल्दी पड़ी थी. वो स्टेशन तो था नहीं कि लगे उसे कोई ट्रेन पकडनी ...