दो शब्द
जुबां कलाम
दिल सद्दाम
रहनुमाओं ने
रचा स्वांग
वतन में
आज़ादी कैसी
देशी अँगरेज़
भाषा अंग्रेजी
नहीं रहे
सर ऊँचा
जो जिए
सर झुका
अंजन - इंजन
विदेशी तकनीकें
अपनी तो
केवल मूंछें
- वाणभट्ट
एक नाम से ज्यादा कुछ भी नहीं...पहचान का प्रतीक...सादे पन्नों पर लिख कर नाम...स्वीकारता हूँ अपने अस्तित्व को...सच के साथ हूँ...ईमानदार आवाज़ हूँ...बुराई के खिलाफ हूँ...अदना इंसान हूँ...जो सिर्फ इंसानों से मिलता है...और...सिर्फ और सिर्फ इंसानियत पर मिटता है...
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ऑर्गन डोनेशन
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गुब्बारे लो गुब्बारे...रंग बिरंगे प्यारे प्यारे...बचपन में ये या इससे मिलती जुलती कविता हम सबने पढ़ी-सुनी होगी. इनके ना-ना प्रकार के रंग बाल ...
बेहतरीन...आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग्य । लाजवाब - क्षणिकायें ।
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