पिता की घोषणा
समस्त मानवीय सम्वेदनाओं में लिपटा
संशयों से घिरा
प्रवृत्तियों में जकड़ा
मै।
सम्पूर्ण सत्यनिष्ठा के साथ
स्वयं को
यह कह सकने में असमर्थ पाता हूँ
कि
भगवान हूँ
मात्र इसलिये
कि
मै पिता हूँ।
जन्म के समय
देखा है मैंने
प्रभु का अंश
साक्षात तुझमें।
यदि सम्भव हो
तो क्षमा करना
कि
पूर्वाग्रहों से ग्रसित
मैंने प्रयास किया
भगवान को
इन्सान बनाने का।
- वाणभट्ट
समस्त मानवीय सम्वेदनाओं में लिपटा
संशयों से घिरा
प्रवृत्तियों में जकड़ा
मै।
सम्पूर्ण सत्यनिष्ठा के साथ
स्वयं को
यह कह सकने में असमर्थ पाता हूँ
कि
भगवान हूँ
मात्र इसलिये
कि
मै पिता हूँ।
जन्म के समय
देखा है मैंने
प्रभु का अंश
साक्षात तुझमें।
यदि सम्भव हो
तो क्षमा करना
कि
पूर्वाग्रहों से ग्रसित
मैंने प्रयास किया
भगवान को
इन्सान बनाने का।
- वाणभट्ट
पूर्वाग्रहों से ग्रसित
जवाब देंहटाएंमैंने प्रयास किया
भगवान को
इन्सान बनाने का। bahut khoob ......pita ki nazar bahut paini hoti hai ......
गहरी पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंगूढ़ सच का गहरा अनुभव सहज शब्दों में उतार दिया !
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरी पंक्तियाँ ... कई बार पढ़ा .. फिर लगा ये अनुभूति है सिर्फ महसूस करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंहोली कि हार्दिक बधाई ...
गहरे भाव लिए बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंभई वाह , अनूठी रचना !!
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंसपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.
वाह! सुन्दर,भावपूर्ण प्रस्तुति....आप को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@हास्यकविता/ जोरू का गुलाम
ह्रदय को छूती हुई पंक्तियाँ.
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...होली की हार्दिक शुभकामनायें.....Bhramar5
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरी पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंमन को छू लेने वाली रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंपिता स्वयं परमात्मा हैं और माता स्वयं जगत्जननी वसुंधरा
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