सम्बल
झुर्रियों से लदी
लाठी के सहारे रेंगती बुढ़िया
चुम्बक लगी लकड़ी से
लोहा बटोरती बंजारन सी औरत
कुछ सिक्कों के लिए दिन-रात
मेहनत करता अपाहिज भिखारी
ट्रेन से कटी जाँघ पर
कृत्रिम पाँव बाँधता आदमी
बजबजाती गलियों में
घोड़ी के आगे नाचते लोग
तेल चुपड़े बालों को गूँथ
चटक बिंदी लगाती मजदूरन
कूड़े में खज़ाना खोजती
अबोध लड़कियाँ
गंदे मैले कपड़ों में
चमकती आँखें वाले बच्चे
झोपड़ी से आती
मासूम की किलकारी
सबूत हैं जीवन का
जो
झकझोर के उठा देते हैं
सोयी पड़ी
जिजीविषा को
और ज़िन्दगी बढ़ जाती है
- वाणभट्ट
झुर्रियों से लदी
लाठी के सहारे रेंगती बुढ़िया
चुम्बक लगी लकड़ी से
लोहा बटोरती बंजारन सी औरत
कुछ सिक्कों के लिए दिन-रात
मेहनत करता अपाहिज भिखारी
ट्रेन से कटी जाँघ पर
कृत्रिम पाँव बाँधता आदमी
बजबजाती गलियों में
घोड़ी के आगे नाचते लोग
तेल चुपड़े बालों को गूँथ
चटक बिंदी लगाती मजदूरन
कूड़े में खज़ाना खोजती
अबोध लड़कियाँ
गंदे मैले कपड़ों में
चमकती आँखें वाले बच्चे
झोपड़ी से आती
मासूम की किलकारी
सबूत हैं जीवन का
जो
झकझोर के उठा देते हैं
सोयी पड़ी
जिजीविषा को
और ज़िन्दगी बढ़ जाती है
- वाणभट्ट
जीन लेने की यही इच्छा शक्ति दिये रहती है।
जवाब देंहटाएंऔर ज़िंदगी आगे बढ़ जाती है..... गहरा अवलोकन ...
जवाब देंहटाएंबेईमानों ने जेबें भर ली कहॉ छिपाया लूट का माल
जवाब देंहटाएंनौनिहाल भूखे नंगे हैं आज़ाद देश का यह हा हाल ।
तुम गोरों से कहॉ अलग हो दुर्योधन दुःशासन-सम हो
खा लेते हो खीर तुम्हीं तुम जनरल-डायर से क्या कम हो?
जीवन अपना रास्ता निकाल ही लेता है।
जवाब देंहटाएंjivan ka vastvik chitr dikhlati kavita ......
जवाब देंहटाएंwah.....aur kya boloon......
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब ... जीवन को प्रेरणा देती रचना ... सच कहा है जीवन तो है ... और सांसों के क्रम को जीवित रखना ही जिंदगी है ...
जवाब देंहटाएंह्रदय को गहरे छू रही है आपकी यह रचना.
जवाब देंहटाएंमर्म पर प्रहार करती हुई रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों के बाद आपके पोस्ट पर आया हूं। प्रस्तुति काफी अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट "सपनों की भी उम्र होती है",पर आपका इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंaaah
जवाब देंहटाएंतेल चुपड़े बालों को गूँथ
चटक बिंदी लगाती मजदूरन ....:)...
zindgi ke kitni mgr eham tukdonko kitne nzdeeki se dekhaa aur snjoya aapne...sab dekhte hain he ye sab...mg snjokm hi paate hain
bahut prsnntaa hui...aapko pdh kr..:)
aise hi likhte rhe
take care
झोपड़ी से आती
जवाब देंहटाएंमासूम की किलकारी
सबूत हैं जीवन का
वाह , क्या बात है , खुबसूरत अभिव्यक्ति !!
गहरी संवेदनात्मक प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंvery touchy and emotional. Passed through my soul..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब आदरणीय!
जवाब देंहटाएंजीवन संघर्ष के विभिन्न आयामों को दर्शाती अदभुत रचना ...............
आपकी नई रचना ढूँढ रही थी , मुझे नहीं मिली ।
जवाब देंहटाएंयथार्थपरक मार्मिक रचना ....
जवाब देंहटाएंसंवेदना से लवरेज प्रस्तुति।अप्रतिम । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंक्या बात है , मार्मिक रचना ....
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से निकले सुन्दर और सार्थक शब्द
जवाब देंहटाएंदिल को छु जानेवाली रचना
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील हृदय के उद्गार..जीवन चलने का नाम,हालात कैसे भी हो🙏
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