कुत्ते भौंक रहे हैं...
जब बौखलाते हैं, तो कुत्ते भौंकते हैं
फेंको बोटी-रोटी, तो दुम हिला कर डोलते हैं
चौंसठ सालों से पकी-पकाई खाते खाते
ईमान और ज़मीर इनके खोखले हैं
अन्ना को देख इनको सब कानून याद आ गए
आज़ादी कैसे मिली कितनी जल्दी भूलते हैं
हक़ के लिए ही तो हुआ सविनय अवज्ञा
आज डर के इसी से गाँधी के बन्दे भागते हैं
एक वो है जो गाँधी को अपने दिल बसाये घूमता है
सत्ता के पुजारी गाँधी को बस संसद में ही पूजते हैं
काली कारों से उतरते हैं अब मंत्रियों के काफिले
काली करतूतें हैं, बस कपडे बदन पर ऊजले हैं
कानून की आड़ में विरोधों को दमन कर दो
देशभक्तों को कलम करने के ये अंग्रेजी तरीके हैं
नमक कानून को तोडा या किसी ने बम फोड़ा
तब आज़ादी की लड़ाई थी, अब दुश्मनों के चोचले हैं
देश की तरक्की की तसवीरें खींचते प्राचीर से
भ्रष्टाचार से लड़ने के हथियार इनके भोथरे हैं
जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता की सरकार है
सोलह अगस्त को देखना, हम आज़ाद कीतने हैं
- वाणभट्ट
भ्रष्टाचार से लड़ने के हथियार इनके भोथरे हैं
जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता की सरकार है
सोलह अगस्त को देखना, हम आज़ाद कीतने हैं
- वाणभट्ट
बिल्कुल सही कहा आपने। “ईमान और ज़मीर इनके खोखले हैं” आज कोई राजघाट पर बैठ कर मौन शब्दों से इनके ईमान को ललकार रहा है।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही और सत्य - सटीक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी पंक्तियाँ सटीक...... बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजनता द्वारा, जनता के लिए, जनता की सरकार है
जवाब देंहटाएंसोलह अगस्त को देखना, हम आज़ाद कीतने हैं
zabardast
आजादी मिली कहाँ है, सिर्फ़ सत्ता का हस्तांतरण ही हुआ था,
जवाब देंहटाएंअंग्रेजों के चमचों के हाथों में।
क्या आप किसी भी पार्टी को देश की भलाई वाली कह सकते हो,
नहीं ना?
नमक कानून को तोडा या किसी ने बम फोड़ा
जवाब देंहटाएंतब आज़ादी की लड़ाई थी, अब दुश्मनों के चोचले हैं
देश की तरक्की की तसवीरें खींचते प्राचीर से
भ्रष्टाचार से लड़ने के हथियार इनके भोथरे हैं
सटीक लिखा है ..
अब भी कुछ बदलाव की सम्भावना है क्या ....ऐसा लगता तो नहीं ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंजनता जगी है पर मतदान अभी दूर है !भ्रष्टाचारियो के चोचले काफी तेज है ! बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर रचना पर टिप्पणी में देखिए मेरे चार दोहे-
जवाब देंहटाएंअपना भारतवर्ष है, गाँधी जी का देश।
सत्य-अहिंसा का यहाँ, बना रहे परिवेश।१।
शासन में जब बढ़ गया, ज्यादा भ्रष्टाचार।
तब अन्ना ने ले लिया, गाँधी का अवतार।२।
गांधी टोपी देखकर, सहम गये सरदार।
अन्ना के आगे झुकी, अभिमानी सरकार।३।
साम-दाम औ’ दण्ड की, हुई करारी हार।
सत्याग्रह के सामने, डाल दिये हथियार।४।
सुंदर प्रस्तुति बधाई भाई वाणभट्ट जी
जवाब देंहटाएंकाली कारों से उतरते हैं अब मंत्रियों के काफिले
जवाब देंहटाएंकाली करतूतें हैं, बस कपडे बदन पर ऊजले हैं
बहुत सच लिखा है इन कायर नेताओं के बारे में ... अपनी अपनी के चक्कर में ये देश को भूल गए अहिं ...
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जवाब देंहटाएंकाली कारों से उतरते हैं अब मंत्रियों के काफिले
काली करतूतें हैं, बस कपडे बदन पर ऊजले हैं
कानून की आड़ में विरोधों को दमन कर दो
देशभक्तों को कलम करने के ये अंग्रेजी तरीके हैं
wonderfully defined the actual picture of our politicians.
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क्या बात है !
जवाब देंहटाएंआंधी आई है.. देखें किसे-किसे उड़ाकर ले जाती है..
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंDekhna hai chingaari kitni aag bhadka sakti hai...
जवाब देंहटाएंजनता द्वारा, जनता के लिए, जनता की सरकार है
जवाब देंहटाएंसोलह अगस्त को देखना, हम आज़ाद कीतने हैं
wah.....kya baat hai.
सच को प्रतिबिम्बित करती बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंजनता द्वारा, जनता के लिए, जनता की सरकार है
जवाब देंहटाएंसोलह अगस्त को देखना, हम आज़ाद कीतने हैं ।
सरकार की बेशर्मी की हद है आज चौबीस तारीख हो गई !!!!!
अन्ना को देख इनको सब कानून याद आ गए
जवाब देंहटाएंbeautiful poem
प्रिय बंधुवर वाणभट्ट जी
जवाब देंहटाएंसस्नेह अभिवादन !
ग़ज़्ज़्ज़ब ! कमाल !
जब बौखलाते हैं, तो कुत्ते भौंकते हैं
फेंको बोटी-रोटी, तो दुम हिला कर डोलते हैं
चौंसठ सालों से पकी-पकाई खाते खाते
ईमान और ज़मीर इनके खोखले हैं
क्या बेबाकी से कहा है … बधाई !
काली कारों से उतरते हैं अब मंत्रियों के काफिले
काली करतूतें हैं, बस कपडे बदन पर ऊजले हैं
कानून की आड़ में विरोधों को दमन कर दो
देशभक्तों को कलम करने के ये अंग्रेजी तरीके हैं
वर्तमान परिस्थितियों पर ख़ूब कलम चलाई है आपने …
दिली मुबारकबाद !
मेरी ताज़ा पोस्ट पर आपका भी इंतज़ार है ,
काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है
वोट से मेरे ही पुश्तें इसकी पलती हैं मगर
मुझपे ही गुर्राए … हद दर्ज़े का ये गद्दार है
मेरी ख़िदमत के लिए मैंने बनाया ख़ुद इसे
घर का जबरन् बन गया मालिक ; ये चौकीदार है
पूरी रचना के लिए मेरे ब्लॉग पर पधारें … आपकी प्रतीक्षा रहेगी :)
विलंब से ही सही…
♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सही कहा आपने.
जवाब देंहटाएंआज़ादी कैसे मिली कितनी जल्दी भूलते हैं
जवाब देंहटाएंहक़ के लिए ही तो हुआ सविनय अवज्ञा
आज डर के इसी से गाँधी के बन्दे भागते हैं
आज की दोगली सरकार को क्या कहें । अब जनता को ही प्रण लेना होगा कि नही देंगे रिश्वत चाहे काम ना हो ।
बिलकुल सही और सत्य| बेहतरीन अभिव्यक्ति|
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंआगे काहे नहीं लिख रहे हैं महिना भर से....
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट अब कब तक आएगी आपकी !!!
जवाब देंहटाएंतब आजादी की लड़ाई थी, अब दुश्मनों के चोचले हैं सार्थक टिप्पणी
जवाब देंहटाएंदशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंपञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
जवाब देंहटाएं***************************************************
"आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"
***शुभ दीपावली ***
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