जिंदा हूँ अभी...
कुछ हवाएं सांसें बन
भूख को
जिन्दा रखती हैं
ये भूख ही है
जो रुकने नहीं देती
चलाये रखती है
सारा सारा दिन
कभी रातों को भी
जगाये रखती है
हर शख्स की भूख अलग है
अंतर है
भूख के लिए जीने और
जीने भर की भूख
में
कुछ सदियों की भूख
पल में मिटाना चाहते हैं
कुछ अपनी भूख बाँट कर खुश हैं
जरुरी है अपने हिस्से की भूख
और जरुरी है उसका हर दिन पूरा होना
यही तो एहसास दिलाती है
जिन्दा होने का.
- वाणभट्ट
भूख को
जिन्दा रखती हैं
ये भूख ही है
जो रुकने नहीं देती
चलाये रखती है
सारा सारा दिन
कभी रातों को भी
जगाये रखती है
हर शख्स की भूख अलग है
अंतर है
भूख के लिए जीने और
जीने भर की भूख
में
कुछ सदियों की भूख
पल में मिटाना चाहते हैं
कुछ अपनी भूख बाँट कर खुश हैं
जरुरी है अपने हिस्से की भूख
और जरुरी है उसका हर दिन पूरा होना
यही तो एहसास दिलाती है
जिन्दा होने का.
- वाणभट्ट