शनिवार, 31 अगस्त 2024

महसूस तो करते हो ना...

रिश्तों का तकाज़ा है कि निभाये जायें
इक तरफ़ा कब तक ये भी तो बतायें

बहुत आसान है दूसरे को दोष दे देना 
अपनी गलती हो तो कभी मान जायें 

अब बहस की भी गुंजाईश नहीं रहती 
जब कोई बोले तो हम भी कुछ सुनायें 

आसमाँ में उड़ने का चलन छूट चुका है 
पिंजरे में आज़ादी का चलो जश्न मनायें 

कोई किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता 
है कोई शुबहा तो दोस्तों को आजमायें 

'वाणभट्ट' रखना राब्ता दिल का दिल से 
दानिशमंद जमाने में जायें तो कहाँ जायें  

-वाणभट्ट

7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !! हक़ीक़त को बयान करती सुंदर शायरी

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  2. दिगंबर नासवा31 अगस्त 2024 को 2:01 am बजे

    वाह ऐसे ग़ज़ब के ख़यालात … बहुत अच्छा प्रयास है … लिखते रहिए …

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  3. Very nice creation.Congratulations🙏💐

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  4. बहुत अच्छी गजल! पहला शेर सबसे अछा लगा।

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यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...

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