रिश्तों का तकाज़ा है कि निभाये जायें
इक तरफ़ा कब तक ये भी तो बतायें
बहुत आसान है दूसरे को दोष दे देना
अपनी गलती हो तो कभी मान जायें
अब बहस की भी गुंजाईश नहीं रहती
जब कोई बोले तो हम भी कुछ सुनायें
आसमाँ में उड़ने का चलन छूट चुका है
पिंजरे में आज़ादी का चलो जश्न मनायें
कोई किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता
है कोई शुबहा तो दोस्तों को आजमायें
'वाणभट्ट' रखना राब्ता दिल का दिल से
दानिशमंद जमाने में जायें तो कहाँ जायें
-वाणभट्ट
वाह !! हक़ीक़त को बयान करती सुंदर शायरी
जवाब देंहटाएंवाह ऐसे ग़ज़ब के ख़यालात … बहुत अच्छा प्रयास है … लिखते रहिए …
जवाब देंहटाएंVery nice creation.Congratulations🙏💐
जवाब देंहटाएंक्या बात है, बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंKhubsurat gazal
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी गजल! पहला शेर सबसे अछा लगा।
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