शनिवार, 6 अगस्त 2011

ढाई आखर...

ढाई आखर...

कविता लिखनी है 
एक शब्द पर 
जो
है ढाई अक्षर का 
जिसे अमूमन होना चाहिए किसी 
लड़की से 
जो हो ख़ूबसूरत बेइन्तहा

भले ही सपनों में

वैसे मुझे प्रेम विरासत में मिला है
माँ से माँ का
और बाप से बाप का
कुछ दादी और बाबा का भी
बहनों और भाइयों का भी 

बचपन में इसे
माँ के आँचल में महसूस किया
फटकारों के पीछे
बाप की 
मुस्कराती आखें 
याद है मुझे अभी भी

दादी के हाथों
खाए हर कौर में
जो खाना खाते-खाते 
सारे रिश्ते गिना जाते 
बाबा की छड़ी
डरते थे जिससे 
पर पड़ी नहीं कभी

बहनों से झगडा
फिर मान-मुनव्वल
जरा-जरा सी बातों पर 
भाइयों से दंगल
दूरी ने बताई 
इन रिश्तों की कीमत

फिर ज़िन्दगी में
एक नया प्रवेश
जिसने बिना जाने
प्रेम की परिभाषा गढ़ डाली
बिन मांगे कितना कुछ दे डाला
इस प्रेम के प्रति 
सबकुछ समर्पित

मेरे लिए है 
ये ही प्रेम 
बस

लड़कियाँ जो अमूमन खूबसूरत होतीं हैं
या लडके उन्हें ख़ूबसूरत बना देते हैं
या वे खुद को खूबसूरत ही समझतीं हैं
एक इंसान सी लगीं
त्वचा के नीचे
दिल के भीतर
और दिमाग के अन्दर
जो है
हमेशा उसे खोजता रहा

अमूमन पुरुष के लिए 
नारी एक देह से ज्यादा कुछ नहीं
उन्हें भी एतराज़ है
लोग उन्हें सिर्फ देह समझते हैं
पर जब मैंने परतों के नीचे जा के देखा
वो खुद को भी देह से ज्यादा समझ  नहीं पातीं
नहीं तो इतनी सजावट
इतनी सज-धज
इतनी फरमाइशें  
इतनी उम्मीदें, क्यों 
एक देह के बदले ही तो 

तभी समझा 
ब्यूटी इज जस्ट स्किन डीप

इसीलिए
मेरे लिए प्रेम वो है
जिसे मांगना न पड़े
जिसे आपके अच्छे या बुरे होने से
ख़ूबसूरत या बदसूरत होने से
कोई फर्क न हो
या यूँ कहें
आप जैसे हैं, जिस हाल में हैं
वहां मिल जाए

वो खुद बिखरा हो
आपके आस-पास 
और ज़िन्दगी उसे
संजोते-संजोते
बीते 
आप जितना बाँटें 
उतना ही बढ़ जाए वो

प्रेम कुछ ऐसा ही होना चाहिए
हैं ना

- वाणभट्ट 




















18 टिप्‍पणियां:

  1. ji yahi hai prem...
    bahut hi khoobsoorat aur pawan prem ki pawan gatha...

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  2. बहुत सुंदर ....सच कहा आपने....प्रेम कुछ ऐसा ही होना चाहिए

    जवाब देंहटाएं
  3. इसीलिए
    मेरे लिए प्रेम वो है
    जिसे मांगना न पड़े
    जिसे आपके अच्छे या बुरे होने से
    ख़ूबसूरत या बदसूरत होने से
    कोई फर्क न हो
    या यूँ कहें
    आप जैसे हैं, जिस हाल में हैं
    वहां मिल जाए...sabkuch spasht ker diya aapne

    जवाब देंहटाएं
  4. prem ki paribhashayen sab ki alag alag soch par isse behtar ho hi nahi sakti.prem me chahiye ek sachcha dil aur kuch nahi.bahut achchi prastuti.

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  5. @ "दूरी ने बताई
    इन रिश्तों की कीमत..."

    अक्सर प्यार को पहचानने में हम लोग देर कर जाते हैं ...
    शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
  6. इसीलिए
    मेरे लिए प्रेम वो है
    जिसे मांगना न पड़े
    जिसे आपके अच्छे या बुरे होने से
    ख़ूबसूरत या बदसूरत होने से
    कोई फर्क न हो
    या यूँ कहें
    आप जैसे हैं, जिस हाल में हैं
    वहां मिल जाए

    सटीक परिभाषा प्रेम की ...बहुत गहन विचार

    जवाब देंहटाएं
  7. दूर होकर ही कीमत पता चलती है...उम्दा रचना...

    जवाब देंहटाएं
  8. निःसंदेह, प्रेम कुछ ऐसा ही होना चाहिए.
    आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....

    जवाब देंहटाएं
  9. इसीलिए
    मेरे लिए प्रेम वो है
    जिसे मांगना न पड़े
    जिसे आपके अच्छे या बुरे होने से
    ख़ूबसूरत या बदसूरत होने से
    कोई फर्क न हो
    या यूँ कहें
    आप जैसे हैं, जिस हाल में हैं
    वहां मिल जाए


    बहुत ही सुन्दर और सार्थक परिभाषा प्रेम की ! यही सच्चा प्रेम है !

    .

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  10. प्रेम को नए तरीके से अभिव्यक्त कर दिया आपने ... सच है प्रेम ऐसा ही कुछ है ...

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  11. प्रेम की ये परिभाषा अच्छी लगी ।

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  12. सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  13. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें .

    जवाब देंहटाएं
  14. प्रेम की अदभुत और सार्थक अभिवयक्ति......

    जवाब देंहटाएं

यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...

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