जब पुराने विचार चुक जायें
तो ज़रूरी है, ब्रेन स्टॉर्मिंग करायें
आउट ऑफ़ बॉक्स विचार न आ जायें
इसलिये घिसे-पिटे टाइम टेस्टेड
विचारकों को ही बुलायें
उनको मंच और माइक थमायें
मुशायरे की तर्ज़ पर
मरहबा और मुकरर्र फरमायें
जब लोग वही पुराने होंगे
तो क्या ख़ाक नये फ़साने होंगे
वैसे भी समस्यायें जब वही हैं
लोग वही हैं, वही सोच है,
तो समाधान भी पुराने होंगे
उन्हीं को मथेगें, गढ़ेंगे कुछ नये शब्द
बनेंगे चैटजीपीटी पर पैराफ़्रेज़िन्ग से
कुछ नये वाक्य
विचारों की आँधी में उड़ेंगे शब्दों के ग़ुबार
चार दिन मन्थन के बाद
आँधियाँ बवंडर मचा कर
वापस लौट जायेंगी अपने दड़बों में
जब ग़र्द बैठेगी
तो काग़ज़ की चादरों पर
करीने से शब्द बैठा दिये जायेंगे
जो दो-एक साल बाद फ़िर झाड़े जायेंगे
फ़िर होगी ब्रेन स्टॉर्मिंग इक अंतराल के बाद
- वाणभट्ट
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...