आज का युवा
आज का युवा
अपनी परिपक्वता को
तमगे की तरह
लगा के चलता है
उसे कुछ ही समय में
आकाश छूना है
दौड़ लगी है
और हर कोई जीतना चाहता है
जब कि
मालूम है कि पिरामिड की नोक
पर खतरा है किसी भी तरफ
लुढ़क जाने का
एवरेस्ट की चोटी पर
सिर्फ एक की जगह है
फिर भी असमंजस और अज्ञान से भरा वो
दौड़ रहा है
एक मरीचिका से दूसरी
फिर तीसरी की ओर
असमंजस को तो मानता है
पर अज्ञानता से अनभिज्ञ है
और पथ प्रदर्शक बुजुर्ग
अभी भी जकडे हैं
जंग लगी रुढियों में
जो रोकतीं हैं
उन्हें आकाश छूने से
ये जोश भरे
युवा चमकना चाहते हैं
पिरामिड की चोटी पर
कुछ पल के लिए ही सही
ये धड़कती जवान रूहें
कम समय में
कुछ कर गुजरना चाहतीं हैं
इनको नहीं गवारा
ये तो
पल भर में दुनिया पलटना चाहतीं हैं
यही जूनून है
जो देश को आगे ले जायगा
इसी का तो
कब से इंतज़ार था
- वाणभट्ट
ये जोश भरे
जवाब देंहटाएंयुवा चमकना चाहते हैं
पिरामिड की चोटी पर
कुछ पल के लिए ही सही
......... नशा ही सही , परिवर्तन की आग बने हैं
शिखर पर सफलता ही नहीं मिलती खोता भी बहुत कुछ है ...... यह बिना जाने दौड़ रहे है ...अच्छी लगी आपकी रचना
जवाब देंहटाएंये धड़कती जवान रूहें
जवाब देंहटाएंकम समय में
कुछ कर गुजरना चाहतीं हैं
गुमनाम या गुमशुदा जीवन
इनको नहीं गवारा
ये तो
पल भर में दुनिया पलटना चाहतीं हैं ...
पीडियों के अंतराल को बाखूबी लिखा है आपने ... पर क्या इतनी तेज़ी ठीक है .. ये तो समय ही बतायगा ....
सही कहा है आपने। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसार्थक व सटीक अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंsomething that I could connect with...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..सार्थक लेखन..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ.
सही अभिव्यक्ति दी है आपने युवा भावों को.
जवाब देंहटाएंदेश का भविष्य युवाओं के इसी जोश और उत्साह के कारण बेहतर दिखता है।
जवाब देंहटाएंयुवा भी क्या करे, एवरेस्ट की सोचेगा तब शायद नीलगिरि तक पहुंचेगा।
जवाब देंहटाएंyuvaa-bhaav ki steek abhvyakti
जवाब देंहटाएंkaavy mei sandesh chhipaa hai .
इसी जुनून का इन्तज़ार था देश को । असफलता नही नीचा ध्येय ही गलत है ।
जवाब देंहटाएं