एक एहसान
मै सुखा ठूंठ, तना,
तना खड़ा हूँ,
तुम्हारी खिड़की के सामने.
नहीं देखने दूंगा तुम्हें संध्याकाश कि चादर.
देखने से पूर्व हो मुझसे साक्षात्कार.
चिढाऊँगा तुमको
हर शाम,
जिससे कि शायद,
तुम ये समझ सको.
कि बचपन में तुम इसी कि छाया में खेले हो
इसी पर लटक कर लम्बे होने कि कवायद कि है
इसी के तने पर चाकू से तुमने नाम गोदे हैं
पर जब हरीतिमा ने मेरा साथ छोड़ा
तुम्हारी उपेक्छा ने मुझे और भी तोडा
टूटता जा रहा हूँ
पर फिर भी खड़ा हूँ
हो सकता है कल तुम मुझको कटवा दो
और मेरी लकड़ी से अपना दरवाज़ा बनवा लो
तो
एक एहसान करना
ठोंकने न पाए कोई,
कम से कम,
एक कालबेल तो लगवा लेना.
- वाणभट्ट
मै सुखा ठूंठ, तना,
तना खड़ा हूँ,
तुम्हारी खिड़की के सामने.
नहीं देखने दूंगा तुम्हें संध्याकाश कि चादर.
देखने से पूर्व हो मुझसे साक्षात्कार.
चिढाऊँगा तुमको
हर शाम,
जिससे कि शायद,
तुम ये समझ सको.
कि बचपन में तुम इसी कि छाया में खेले हो
इसी पर लटक कर लम्बे होने कि कवायद कि है
इसी के तने पर चाकू से तुमने नाम गोदे हैं
पर जब हरीतिमा ने मेरा साथ छोड़ा
तुम्हारी उपेक्छा ने मुझे और भी तोडा
टूटता जा रहा हूँ
पर फिर भी खड़ा हूँ
हो सकता है कल तुम मुझको कटवा दो
और मेरी लकड़ी से अपना दरवाज़ा बनवा लो
तो
एक एहसान करना
ठोंकने न पाए कोई,
कम से कम,
एक कालबेल तो लगवा लेना.
- वाणभट्ट
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