गाँधी जी कि याद आती है.
जब किसी मन्दिर से भजन
और
मस्जिद से अजान
की
आवाज आती है.
जिसने धर्म का मर्म जाना
गीता-कुरान का सार माना
पर इस देश में जब
मजहबी नारों की आवाज आती है
गाँधी तेरी बहुत याद आती है.
पर-उपदेश तो कुशल हैं बहुतेरे,
संत वही जो खुद पर तौले
सुबह चैनलों पर जब बाबाओं की
फ़ौज आती है
बापू तुम्हारी याद आती है
तस्वीर तेरी है हर थाने में,
खादी ओढ़े नेताओं में,
अक्स तेरा है.
पर जो मन से तुझको माने,
ऐसा कोई शख्श कहाँ है.
हिंसा का तांडव चंहुओर
भ्रष्टाचार हुआ बहुजोर
सहमी सी है न्यायपालिका
और
किम्कर्तव्यविमूढ़ सरकार.
कैसे फैले उजियारा
इस दीप में, तेल है न बाती है
गाँधी की उपयोगिता आज भी समझ आती है.
- वाणभट्ट
एक नाम से ज्यादा कुछ भी नहीं...पहचान का प्रतीक...सादे पन्नों पर लिख कर नाम...स्वीकारता हूँ अपने अस्तित्व को...सच के साथ हूँ...ईमानदार आवाज़ हूँ...बुराई के खिलाफ हूँ...अदना इंसान हूँ...जो सिर्फ इंसानों से मिलता है...और...सिर्फ और सिर्फ इंसानियत पर मिटता है...
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
घोषणापत्र
हर तरफ़ चुनाव का माहौल है. छोटी-छोटी मोहल्ला स्तर की पार्टियां आज अपना-अपना घोषणापत्र ऐसे बांच रहे हैं मानो केन्द्र में सरकार इनकी ही बनने व...
-
यूँ होता तो क्या होता हुयी मुद्दत कि ग़ालिब मर गया पर याद आता है वो हर इक बात पे कहना कि यूँ होता तो क्या होता ये शेर ग़ालिब के लिखे उन शेरो...
-
ऑर्गन डोनेशन जब ऑर्गन डोनेशन का फॉर्म ऑनलाइन भरा तो सरकार की तरफ़ से एक सर्टिफिकेट मिल गया. उसमें शरीर के सभी अवयव जिनको किसी की मृत्यु के ...
-
नेतागिरी दरवाज़ा उढ़का हुआ था. खटखटाते ही बिना आवाज़ के खुल गया. अन्दर का दृश्य कम से कम मेरी कल्पना के परे था. कमरे में मेज, कुर्सी और बक्से क...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
यूं ही लिख रहा हूँ...आपकी प्रतिक्रियाएं मिलें तो लिखने का मकसद मिल जाये...आपके शब्द हौसला देते हैं...विचारों से अवश्य अवगत कराएं...