tag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post7901927980031588142..comments2024-03-24T21:18:14.269-07:00Comments on वाणभट्ट: देशभक्तिVaanbhatthttp://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-20154080294206866682021-07-06T02:34:37.097-07:002021-07-06T02:34:37.097-07:00प्रिय वाणभट्ट, सप्रेम वंदेमातरम��
लेख के उद्देश्य ...प्रिय वाणभट्ट, सप्रेम वंदेमातरम��<br />लेख के उद्देश्य को मैं स्पष्ट नहीं समझ सका, पर इतना अवश्य समझ पाया हूँ कि आप हमारे नेताओं के खोखले (शायद) देशभक्ति नारों, दिखावों से आहत हैं और एक मुल्क-विहीन पुरातन कौम के द्वारा वर्तमान में अपने स्वप्निल कौमी वतन को रेगिस्तानी एवं दुष्कर जमीनं पर अवतरित कर देने के असम्भव से कार्य के पीछे पैठी हुई अप्रतिम देशभक्ति की भावना से आप अभिभूत हैं।<br /><br />फिर भी मैं एक मित्र की प्रतिक्रिया के कारण अपने विचार प्रस्तुत करने से स्वयं को रोक नहीं पा रहा हूँ-<br />हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं, वहाँ मूलतः दो ही समुदाय है- सभ्य समुदाय जो साहचर्य में विश्वास रखते हैं, और दूसरा जंगल समुदाय जहां self survival at any cost ही एकमात्र नियम है।<br />सभ्य समुदाय सतत विकास के पथ पर चलता आ रहा है जिसके कारण उसने जंगल समुदाय पर सदैव ही विजय पाई है। किन्तु सत्य ये भी है कि जंगल समुदाय को समूल नष्ट नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये सभ्य समुदाय के भीतर रचा बसा है। इन दोनों समुदायों के बीच द्वंद सदैव चलता रहेगा।<br />सभ्य समुदाय ने अपने संरक्षण एवं विकास हेतु बहुत सारे सामाजिक संरचनाओं या इंस्टीट्यूशन्स को विकसित किया है और लगातार इनमें संवर्धन एवं परिवर्तन होते जा रहे हैं। इन्हें क़बीले, राज, देश, राष्ट्र आदि के रूप में पहचाना जा सकता है। आगे कोई नया इंस्टिट्यूशन उभर कर आ सकता है जो कि वैश्विक एकल सभ्य समाज के सर्वांगीण विकास के लिये बेहतर हो।<br />देशभक्ति एक शब्द है जिसके परिभाषित-भाव सीमित होते हैं और इनको समय और स्थान एवं स्तर के अनुरूप परिभाषित किया जाता रहा है। किन्तु देशभक्ति का जो मूल भाव है वो तो सिर्फ एक है-हम सभ्य समुदाय का साहचर्य-विकास। इसमें दो बातें स्पष्ट रूप में अन्तर्निहित हैं-दूसरों की सहायता , किन्तु स्वयं को संरक्षित करते हुए। इसको सरलतम रूप में ऐसे समझा जा सकता हैं कि एक मोहल्ले में कई परिवार अपनी निजता को कायम रखते हुए बहुत स्नेह से रह सकते हैं, जबकि किसी एक परिवार के दो-तीन सदस्य भी स्नेहपूर्वक साथ नहीं रह सकते हैं।<br />मेरी समझ में देशभक्ति का मतलब ये है कि स्वयं में और यथासंभव प्रभाव-क्षेत्र में जंगल-समुदाय की प्रवृत्तियों को जन्मने एवं पनपने से रोकें।<br />विवेक शील बने एवं स्वार्थी-चित्त पर सदैव विवेक-लगाम को कसते रहें।<br />वंदेमातरम��������<br />संतोषnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-74909700327353416942020-07-06T07:23:42.446-07:002020-07-06T07:23:42.446-07:00भाई मै आदर्शों की बात करता हूँ...आदर्श के लिये प्र...भाई मै आदर्शों की बात करता हूँ...आदर्श के लिये प्रयास कर सकते हैं...आदर्श तक पहुँचना कठिन है...मेरी उम्मीद व्यक्तिगत है...और देश व्यक्तियों से बनता है...बबूल बो कर आम की आशा करना सही नहीं है...नियम बन चुके हैं...उनका अनुपालन ठीक से होने लगे तो भारत भी विकसित देशों में शुमार हो जाये...नेताओं और अधिकारियों का दोष इतना है कि वो भी सिस्टम में फिट होने का प्रयास करते हैं...देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी सबकी है...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-12774457512711556152020-07-06T01:05:18.730-07:002020-07-06T01:05:18.730-07:00मित्र अतिआवश्यक विषय व प्रश्न उठाया आपने, हार्दिक ...मित्र अतिआवश्यक विषय व प्रश्न उठाया आपने, हार्दिक आभार। मैं स्वआदतन इसके मूल आधार, पोषण व प्रवाह पर कुछ अपने अनुभव रखना चाहूँगा। आशा है कि यदि किसी को मेरे किसी शब्द से कुछ आहत हो तो क्षमा करेंगे। धर्म की तरह ही देशभक्ति व मात्र भूमि-प्रेम एक निजी भाव है जो पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित होती है, पर प्रचारित करने का विषय नहीं जैसा कि आजकल के नेतागण कर रहें हैं और इसको हमारे हृदय निहित भाव का दोहन कर अपने राजनैतिक स्वार्थ सिद्ध कर रहें हैं। ये एक स्वपरिवार प्रबल प्रेम व हित की रक्षा के जज़्बे का बृहत् रूप है। इसके पोषण में एक अलग ख़ुशी होती है जो किसी और वस्तु ब भाव में नहीं होती परंतु जीव भाव और ज़िंदगी जीने की ख़ुशी से ही आगे पोषित है, पर यदि इसके नागरिकों को कई जाति उपजाति धर्म रंग के आधार पर विभाजित कर दिया जाये और उसी आधार पर एक दूसरे को ऊँच नींच परिभाषित करें लड़ें शोषण हो तो और नेतागण व सरकार इसी आधार अपनी जनता को छलें व कपट करे तो क्षमा करिएगा मित्र जो कुछ भी जितना भी देशभक्ति भाव बचा है वो धीरे धीरे वो भी विलुप्त हो जाएगा भारतीयों के ह्रदय से मन से और हम फिर ढपली बजाएँगे। <br />किसी देश की जनता (प्रजा) में देशप्रेम का बीजारोपण व प्रवाह में राजा (सरकार) व समाज के अग्रणी लोगों का बहुत बड़ा दायित्व व अहम भूमिका होती है और ये भाव कृत्य अन्य कृत्यों (शोषण घूसखोरी आदि) भावों (प्रेम घृणा) <br />यदि भारत में मूलतः जाति नहीं होती जनता का शोषण नहीं होता सबके साथ एक जैसा बर्ताव होता सब समान होते तो बात ही कुछ और होती और कभी भी अंग्रेज व मुग़ल हम पर शासन ना कर पाते यही सत्य है चाहे कोई अपने आडम्बर में माने या ना माने। आज सामाजिक व राजनैतिक शक्तियाँ इसका छद्म, विकृत व भयानक रूप प्रस्तुत कर रहीं हैं केवल व केवल निजी सत्तास्वार्थ के लिए और इसी को मुख्य धारा के लोग अपने सत्ता की भागीदारी को क़ायम रखने के लिए ये चोला ओढ़े हुए प्रचारित कर रहें हैं। जब तक ये सभी विभाजन और सर्व साक्षरता (मात्र एक राजनीतिक हथकंडा) नहीं सही मूल्यों में मानसिक विकास हेतु सभी को उच्च मूल्यांकित सर्वशिक्षा नहीं मिलेगी और ये सामाजिक विभाजन समाप्त नहीं होगा जिसका दायित्व केवल उच्च लोगों पर है, तब तक सच्चे देशप्रेम का अंकुरण व पोषण असम्भव। इसी संदर्भ में कहूँ कि यदि भारतीयों में स्वार्थ राजसुख का लोभ ना होता और सच्चा देशभक्ति होती तो कभी भारत परतंत्र ना होता ... आज भी यही सच्चाई है सिवाय स्वर्थलिप्त छद्म देशप्रेम के। भारत अंदर निकट भूत में कभी भी देशप्रेम रहा ही नहीं और स्वतंत्रता के उद्धत देशप्रेम भी केवल अंग्रेजों के सानिध्य से भारतीयों में प्रवाहित हुआ और उसी की दलाली से स्वतन्त्र हुए और फिर वहीं लोगों ने राज किया और आज भ बस छद्म देशप्रेम से राज कर रहे है जो कभी नतमस्तक थे परतंत्रता के सामने ... सत्य यही इसको शीघ्र ही स्वीकार करने में भलाई अन्यथा बड़ी कठिन है डगर पनघट की Dr Pranveer S Satvathttps://www.blogger.com/profile/04898412710472007143noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-35442952118506552022020-07-05T23:22:19.535-07:002020-07-05T23:22:19.535-07:00भाई,बाकी टिप्पणियों में 2012 क्यों अंकित है?ये ब्ल...भाई,बाकी टिप्पणियों में 2012 क्यों अंकित है?ये ब्लॉग काफी पहले लिखा था क्या?शिशिरhttps://www.blogger.com/profile/10641185787618403651noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-256796830568666702020-07-05T23:21:08.561-07:002020-07-05T23:21:08.561-07:00गंगा जल लेके जाते।
गंगा जल लेके जाते।<br />शिशिरhttps://www.blogger.com/profile/10641185787618403651noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-60956254890928335262012-12-13T03:19:11.295-08:002012-12-13T03:19:11.295-08:00कई प्रसंग मन को छू गये खासतौर अंतिम पैरा ...
इस ...कई प्रसंग मन को छू गये खासतौर अंतिम पैरा ... <br />इस सशक्त लेखन एवं प्रस्तुति के लिये आभार<br /><br />सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-80909306592019985162012-12-08T01:13:35.538-08:002012-12-08T01:13:35.538-08:00प्रेरक प्रसंगों को साझा किया है आपने ... सच है की ...प्रेरक प्रसंगों को साझा किया है आपने ... सच है की देश उसके लोगों से बनता है ... उनकी भावनाओं से बनता है ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-58817117193040194222012-12-06T09:40:33.916-08:002012-12-06T09:40:33.916-08:00सुभाष चन्द्र बोस ने अपनी किसी पुस्तक में कहा है की...सुभाष चन्द्र बोस ने अपनी किसी पुस्तक में कहा है की वर्षों से मुगलों और अंग्रेजों की गुलामी झेल कर भारत में आत्म स्वाभिमान मर सा गया है इसलिए स्वराज के बाद भारत को पांच साल की लिमिटेड डिक्टेटरशिप में रखना चाहिए। संभवतः उनका अभिप्राय अनुशासन और देशप्रेम विकसित करने के लिए रहा हो। कलाम साहब का एक मेल नेट पर काफी सर्कुलेट हुआ था कि हिन्दुस्तानी जैसा सिंगापूर में बिहेव करता है वैसा भारत में बिहेव करे तो भारत को सिंगापूर बनने में देर नहीं लगेगी। तुम्हारे कन्सर्न्स से मैं भी इत्तेफाक रखता हूँ। Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-90638123586701314792012-12-05T10:22:04.590-08:002012-12-05T10:22:04.590-08:00Dada, deshbhakti to kaafi baad mein aati hai, yaha...Dada, deshbhakti to kaafi baad mein aati hai, yahan samasya ye hai hame choti choti cheezon ki parwaah nahi hai. anushasan naam ki cheez nahi hai. hum log kahin bhi paan kha ke thook dete hain. chalti car se kachra fenk dete hain aur fir bolte hain ki videsho mein dekho kitni safai hai. hum log jab videsh jaate hain to wahan ke saare niyam follow karte hain par ye kehne se nahi chookte ki bharat mein kitni gandgi hai. Asal baat to ye hai ki hame koi dictator chahiye jo apni khatiya khadi kar sake....Vinayhttps://www.blogger.com/profile/07318659070037326079noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-85456177136827472952012-12-01T23:18:04.924-08:002012-12-01T23:18:04.924-08:00अद्भुत पोस्ट देश प्रेम कोई इनसे सीखे |बधाई भाई वाण...अद्भुत पोस्ट देश प्रेम कोई इनसे सीखे |बधाई भाई वाणभट्ट जी |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-87609454211513703972012-12-01T05:51:36.326-08:002012-12-01T05:51:36.326-08:00सरजी, अंत में बहुत टेढ़ा सवाल पूछ लिया आपने।
बहुत ...सरजी, अंत में बहुत टेढ़ा सवाल पूछ लिया आपने।<br />बहुत नाजुक समय पर पोस्ट आई है ये, संयुक्त राष्ट्र का ताजातरीन घटनाक्रम बहुत साफ़ संदेश देता है कि रेत में सिर गड़ाने से तूफ़ान नहीं रुकते और सिरों की गिनती के आधार पर होने वाले फ़ैसले दिलों और दिमागों को दरकिनार करते हुये भी हो सकते हैं।<br />अपने वतन से इतना प्रेम करने वाले उन अनदेखे\अपरिचित दोस्तों के लिये ढेर सारी तालियां। संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-52565182671472963462012-12-01T00:32:02.061-08:002012-12-01T00:32:02.061-08:00rakesh sir ne sach kaha...:)
ek saargarbhit aalekh...rakesh sir ne sach kaha...:)<br />ek saargarbhit aalekh...<br />aabhar...मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-79680024584652513522012-11-30T18:20:51.386-08:002012-11-30T18:20:51.386-08:00इजराईल जैसा जज्बा अगर भारतीयों में आ जाये तो फ़िर ...इजराईल जैसा जज्बा अगर भारतीयों में आ जाये तो फ़िर किसकी औकात जो हमें आँख दिखाये।SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-17006985134033766052012-11-30T17:38:55.977-08:002012-11-30T17:38:55.977-08:00प्रासंगिक आलेख - आभार प्रासंगिक आलेख - आभार Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-87509393072396033822012-11-30T17:35:41.630-08:002012-11-30T17:35:41.630-08:00"किसी देश को महान बनाने के लिए उसके लोगों का ..."किसी देश को महान बनाने के लिए उसके लोगों का आचरण और चरित्र की अहम् भूमिका है ... "हम अपने देश से भागते हुए क्या ले जाते, अपने साथ?"<br /><br /><br /><br /><br />Anonymousnoreply@blogger.com