tag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post6157082831535723321..comments2024-03-24T21:18:14.269-07:00Comments on वाणभट्ट: अन्नदाताVaanbhatthttp://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-2366856084666193142012-08-11T05:43:27.110-07:002012-08-11T05:43:27.110-07:00समझ में नहीं आता कि आपके लेख कि कैसे तारीफ़ करू ,इ...समझ में नहीं आता कि आपके लेख कि कैसे तारीफ़ करू ,इतना ही पता है कि आज सच्चाई ,इमानदारी और मेहनत का उचित मोल नहीं मिलता.alka mishrahttps://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-31056280189383261922012-08-01T05:37:41.626-07:002012-08-01T05:37:41.626-07:00असमानता की खाई पाटने की जगह और चौड़ी करते जा रहें ...असमानता की खाई पाटने की जगह और चौड़ी करते जा रहें हैं हम..प्रभावित करता आलेख..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-7992277155695446552012-07-31T22:02:44.589-07:002012-07-31T22:02:44.589-07:00इतनी हरियाली के बावजूद किसान को ये नहीं मालूम कि
...इतनी हरियाली के बावजूद किसान को ये नहीं मालूम कि <br />उसके गाल की हड्डी क्यों उभर आई है ?<br />उसके बाल सफ़ेद क्यों हो गए हैं ?<br />लोहे की छोटी दुकान पर बैठा आदमी सोना <br />और इतने बड़े खेत में खड़ा आदमी मिटटी क्यों हो गया है .... <br /><br /><br /><br />और खासियत ये है कि हर कोई उस चीज़ के लिए दुखी है जिसका वास्तविक जीवन से कोई लेना-देना नहीं है...मार्मिक कटाक्षरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-61825762923750293792012-07-30T11:52:49.243-07:002012-07-30T11:52:49.243-07:00बाणभट्ट जी बहुत दिन हुए,
अब लिखे हुए ।
नई पोस्ट की...बाणभट्ट जी बहुत दिन हुए,<br />अब लिखे हुए ।<br />नई पोस्ट की प्रतीक्षा में ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-6580414844680492282012-07-25T23:21:53.374-07:002012-07-25T23:21:53.374-07:00भौतिकता में खो चुका है इंसान। सोचने-समझने की बुद्...भौतिकता में खो चुका है इंसान। सोचने-समझने की बुद्धि पर दिखावे का मकडजाल छा चुका है। उद्दार असंभव सा दीखता है। अंधी दौड़ जारी रहेगी। संवेदनशील लोगों को व्यथित करती रहेगी।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-1253445207321083322012-07-22T09:35:09.069-07:002012-07-22T09:35:09.069-07:00कहाँ है आप ...???
काफी समय से कुछ नहीं लिखा ?
शुभ...कहाँ है आप ...???<br />काफी समय से कुछ नहीं लिखा ? <br />शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-22891845668273524192012-06-03T06:07:17.722-07:002012-06-03T06:07:17.722-07:00bahut bahut hi prashanshniy prastuti
itna sundar l...bahut bahut hi prashanshniy prastuti<br />itna sundar lekh pura padhe bina raha nahi gaya <br />bahut bahut badhai<br />poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-6623368868495447172012-05-24T08:15:26.789-07:002012-05-24T08:15:26.789-07:00आपका लेख अच्छा है बहुत अच्छा, पर मेहनत करने वाले ब...आपका लेख अच्छा है बहुत अच्छा, पर मेहनत करने वाले बुध्दिमान लोग क्यूं यशस्वी ना हों खास कर उनके मुकाबले जो अपने आप को उठाने के लिये कुछ करना ही नही चाहते ?<br /> क्या लक्ष्मी सिर्फ बुद्धि, बलशाली और योग्य लोगों के लिये ही हैं. बाकि को ठीक से जीने का भी अधिकार नहीं है...............................<br />किसान लुहार कुम्हार सुनार सबको अपनी मेहनत का फल मिलना चाहिये यह मै मानती हूँ ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-40874393710450395942012-05-19T19:03:15.648-07:002012-05-19T19:03:15.648-07:00सुन्दर प्रस्तुति.सुन्दर प्रस्तुति.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-17045147889013193102012-05-18T08:54:38.498-07:002012-05-18T08:54:38.498-07:00sarthaknd satik rachna......sarthaknd satik rachna......Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-91568358284005450922012-05-18T02:46:27.217-07:002012-05-18T02:46:27.217-07:00बेहद सार्थकता लिये हुए यह आलेख ... आभार ।बेहद सार्थकता लिये हुए यह आलेख ... आभार ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-78731718439192454582012-05-17T02:22:09.035-07:002012-05-17T02:22:09.035-07:00भौतिकवाद जीवन में हम अपनत्व तो भूल ही गए हैं..
किस...भौतिकवाद जीवन में हम अपनत्व तो भूल ही गए हैं..<br />किसान के अथक प्रयासों से ही आज हमारी ज़िंदगी चल रही है पर इस बात का ख्याल एक क्षण भी नहीं आता है.. बड़ा ही दुर्भाग्य है..<br />और फिर एक कार्टून पर हमारे नेता बखेडा खड़ा कर देते हैं और हजारों किसानों के आत्महत्याओं पर एक चूं तक नहीं! विडम्बना!Pratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-17301060522058339722012-05-15T08:48:18.108-07:002012-05-15T08:48:18.108-07:00@ उन्होंने सारा दोष मेरी अकर्मण्यता पे धर दिया। ब्...@ उन्होंने सारा दोष मेरी अकर्मण्यता पे धर दिया। ब्लॉग लिखने में जितना समय बर्बाद करते हो उतना किसी प्रोडक्टिव काम में लगाते तो पैसों का रोना नहीं रोते...<br /><br />अच्छा हुआ कि आपकी जगह पर मैं नहीं था, नहीं तो १० दिन तक, एक भी पोस्ट लिख नहीं पाता :(<br />एक बढ़िया लेख के लिए बधाई तथा आभार !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-89091640973782441472012-05-14T18:46:27.663-07:002012-05-14T18:46:27.663-07:00सुन्दर प्रस्तुति...हार्दिक बधाई...सुन्दर प्रस्तुति...हार्दिक बधाई...प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-57303893399805183182012-05-13T21:40:11.630-07:002012-05-13T21:40:11.630-07:00ऐसी सुविधा मत करो
की कोई सिर्फ दस्तखत करते रह कर ...ऐसी सुविधा मत करो <br />की कोई सिर्फ दस्तखत करते रह कर <br />महल-अटारी-मोटर-तांगे-वायुयान में चढ़ कर डोले <br />न ऐसी सुविधा रहे की केवल पढ़-लिख कर <br />कोई किसान, कमकर, बुनकर से बढ़ कर बोले....<br /><br />GREAT LINES...<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-90634097746428513732012-05-13T20:27:10.922-07:002012-05-13T20:27:10.922-07:00Behtreen lekh ke liye badhaiBehtreen lekh ke liye badhaiamrendra "amar"https://www.blogger.com/profile/00750610107988470826noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-26292671471127040632012-05-13T19:12:50.339-07:002012-05-13T19:12:50.339-07:00सुविधाएँ हमारा काम आसान करती हैं , फिर हमें गुलाम ...सुविधाएँ हमारा काम आसान करती हैं , फिर हमें गुलाम बनाती है ! बाजार और पूंजीवाद का सिद्धांत यही है!<br />सार्थक आलेख !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-45916562017710688752012-05-13T17:16:02.764-07:002012-05-13T17:16:02.764-07:00एक-एक पंक्ति सोचने को बाध्य करती है। सचमुच किसान क...एक-एक पंक्ति सोचने को बाध्य करती है। सचमुच किसान के उत्पाद में पूरी लागत की गणना नहीं होती। लेकिन दूसरा पहलू यह है कि यदि आनाज भी महंगा हो जायेगा तो भूमिहीन मज़दूरों का क्या होगा जिनकी आमदनी का सबसे बड़ा भाग आज भी भोजन के मद में ही खर्च होता है। अनाज की बहुतायत है, ज़रूरतमन्द को उसका भाग मिलना ही चाहिये और यह सुधार हमारे-आपके सोचने भर से नहीं होने वाला। कैसे न कैसे सामर्थ्यवान नीति निर्माताओं और प्रशासकों के भेजे में न्याय की भावना ठोकनी ही पड़ेगी।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-72321620471478456262012-05-13T10:43:20.041-07:002012-05-13T10:43:20.041-07:00बाज़ार की संस्कृति ने हम से वह सब कुछ छीन लिया है ...बाज़ार की संस्कृति ने हम से वह सब कुछ छीन लिया है जो नेचुरल था। अब तो हंसी-ख़ुशी भी कृत्रिम लगती है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-1843219569047834012012-05-13T10:13:59.459-07:002012-05-13T10:13:59.459-07:00आपने किसानों की बात को सटीक रूप में लिखा है .... उ...आपने किसानों की बात को सटीक रूप में लिखा है .... उनकी समस्याओं पर सरकार भी पक्षपात कर देती है .... विचारणीय लेख .... आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-22433053165746174532012-05-13T09:17:45.239-07:002012-05-13T09:17:45.239-07:00दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है,
मिल जाए त...दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है,<br />मिल जाए तो मिटटी है, खो जाए तो सोना है.<br /><br />एकदम सच बयानी-सब जानते हैं..कहते नहीं.<br /><br />पिचक जईहैं पेटवा, चुचुक जईहैं गाल <br />जिस दिन करिहैं भैया किसान हड़ताल.<br /><br />हम्म!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-10171533898778493172012-05-13T08:42:42.607-07:002012-05-13T08:42:42.607-07:00सच बात कही है ....
आभार ..सच बात कही है ....<br />आभार ..Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-45602199716506898182012-05-13T04:34:15.172-07:002012-05-13T04:34:15.172-07:00पिचक जईहैं पेटवा, चुचुक जईहैं गाल
जिस दिन करिहैं ...पिचक जईहैं पेटवा, चुचुक जईहैं गाल <br />जिस दिन करिहैं भैया किसान हड़ताल....<br /><br />ऐसिनौबत न आए ... पार्टियों का वोट बेंक न खिसक जाय इसीलिए तो किसानों कों हाशिए पे डाल रखा है सरकार ने ... पहले तो बस प्राकृति पे निर्भर थी खेती अब उसके साथ सरकार पे भी निर्भर है ... जब तक पेट भरे रहते हैं सब की किसानों की चिंता कोई नहीं करेगा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-72761770938055600702012-05-12T22:43:27.408-07:002012-05-12T22:43:27.408-07:00दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है,
मिल जाए त...दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है,<br />मिल जाए तो मिटटी है, खो जाए तो सोना है....यही क्रम हमेशा होना हैरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6330433093682463130.post-51038639797359182732012-05-12T22:18:48.161-07:002012-05-12T22:18:48.161-07:00हूबहू ऐसा ही मैं भी सोचता हूँ| एकाध प्रतिशत blue-...हूबहू ऐसा ही मैं भी सोचता हूँ| एकाध प्रतिशत blue-blooded population को छोड़कर ब्रांडेड उत्पाद और महंगे गजेट्स का भौंडा प्रदर्शन करते लोग असल में तो अपनी किन्हीं मौलिक कमियों से ध्यान हटाने को ही इनका प्रयोग करते हैं| <br />भूख रोटी से ही मिटती है, सुलभ है तो इसका कोई मोल नहीं और न मिले तो अनमोल है|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.com