एक नाम से ज्यादा कुछ भी नहीं...पहचान का प्रतीक...सादे पन्नों पर लिख कर नाम...स्वीकारता हूँ अपने अस्तित्व को...सच के साथ हूँ...ईमानदार आवाज़ हूँ...बुराई के खिलाफ हूँ...अदना इंसान हूँ...जो सिर्फ इंसानों से मिलता है...और...सिर्फ और सिर्फ इंसानियत पर मिटता है...
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घोषणापत्र
हर तरफ़ चुनाव का माहौल है. छोटी-छोटी मोहल्ला स्तर की पार्टियां आज अपना-अपना घोषणापत्र ऐसे बांच रहे हैं मानो केन्द्र में सरकार इनकी ही बनने व...
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यूँ होता तो क्या होता हुयी मुद्दत कि ग़ालिब मर गया पर याद आता है वो हर इक बात पे कहना कि यूँ होता तो क्या होता ये शेर ग़ालिब के लिखे उन शेरो...
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ऑर्गन डोनेशन जब ऑर्गन डोनेशन का फॉर्म ऑनलाइन भरा तो सरकार की तरफ़ से एक सर्टिफिकेट मिल गया. उसमें शरीर के सभी अवयव जिनको किसी की मृत्यु के ...
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नेतागिरी दरवाज़ा उढ़का हुआ था. खटखटाते ही बिना आवाज़ के खुल गया. अन्दर का दृश्य कम से कम मेरी कल्पना के परे था. कमरे में मेज, कुर्सी और बक्से क...