रविवार, 31 जुलाई 2011

जिंदा हूँ अभी...

जिंदा हूँ अभी...


कुछ हवाएं सांसें बन
भूख को
जिन्दा रखती हैं

ये भूख ही  है
जो रुकने नहीं देती
चलाये रखती है

सारा सारा दिन
कभी रातों को भी
जगाये रखती है

हर शख्स की भूख अलग है

अंतर है
भूख के लिए जीने और
जीने भर की भूख
में

कुछ सदियों की भूख
पल में मिटाना चाहते हैं
कुछ अपनी भूख बाँट कर खुश हैं

जरुरी है अपने हिस्से की भूख
और जरुरी है उसका हर दिन पूरा होना
यही तो एहसास दिलाती है
जिन्दा होने का.

- वाणभट्ट

11 टिप्‍पणियां:

  1. जरुरी है अपने हिस्से की भूख
    और जरुरी है उसका हर दिन पूरा होना
    यही तो एहसास दिलाती है
    जिन्दा होने का.


    बहुत खूब....कम शब्दों में गहरी बात.

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  2. अपुन तो सिर्फ़ जीने के लिये जरुरी ही खाते है, खाने के लिये नहीं जीते है।

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  3. जरुरी है अपने हिस्से की भूख
    और जरुरी है उसका हर दिन पूरा होना
    यही तो एहसास दिलाती है
    जिन्दा होने का.....

    खूब..... प्रभावित करती पंक्तियाँ

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  4. कुछ सदियों की भूख
    पल में मिटाना चाहते हैं
    कुछ अपनी भूख बाँट कर खुश हैं

    जरुरी है अपने हिस्से की भूख
    और जरुरी है उसका हर दिन पूरा होना
    यही तो एहसास दिलाती है
    जिन्दा होने का.... spashtta me bhukh ko jan lena hi jina hai

    जवाब देंहटाएं
  5. "कुछ सदियों की भूख
    पल में मिटाना चाहते हैं"

    अधिकतर ऐसा ही है

    "कुछ अपनी भूख बाँट कर खुश हैं"

    ऐसे भी है

    सटीक, सार्थक और प्रभावी प्रस्तुति

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  6. apne hisse ki bhookh aur jaroori hai uska har din poora hona taaki jeene ka ahsaas hota rahe...gajab ke bhaav hain.bahut achchi rachna.

    जवाब देंहटाएं
  7. अंतर है
    भूख के लिए जीने और
    जीने भर की भूख
    में,....

    Impressive presentation !

    Glad to see that 'hunger' can be presented in such a nice way .

    Loving the creation .

    .

    जवाब देंहटाएं
  8. काश यह न होती ! बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  9. भूख का जिन्दा रहना जरूरी है ... होने के एहसास के लिए ...
    बहुत गज़ब ,,, सटीक रचना ... मज़ा आ गया पढ़ के ...

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