रविवार, 15 मई 2011

हम-तुम

हम-तुम

इन तारों भरी रात में 
ले हाथ तेरा हाथ में
कुछ वादे करें

महकी आवाज़ ले
सुरीला साज़ ले
इक नग्मा गुनें 

हाड तक घुसती गलन
हवा में तीखी चुभन
चल शबनम बिनें

कोई आता है इधर
पतझड़ के सूखे पत्तों पर
उसकी आहट सुनें 

- वाणभट्ट 


4 टिप्‍पणियां:

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