हम-तुम
इन तारों भरी रात में
ले हाथ तेरा हाथ में
कुछ वादे करें
महकी आवाज़ ले
सुरीला साज़ ले
इक नग्मा गुनें
हाड तक घुसती गलन
हवा में तीखी चुभन
चल शबनम बिनें
कोई आता है इधर
पतझड़ के सूखे पत्तों पर
उसकी आहट सुनें
- वाणभट्ट
एक नाम से ज्यादा कुछ भी नहीं...पहचान का प्रतीक...सादे पन्नों पर लिख कर नाम...स्वीकारता हूँ अपने अस्तित्व को...सच के साथ हूँ...ईमानदार आवाज़ हूँ...बुराई के खिलाफ हूँ...अदना इंसान हूँ...जो सिर्फ इंसानों से मिलता है...और...सिर्फ और सिर्फ इंसानियत पर मिटता है...
हर तरफ़ चुनाव का माहौल है. छोटी-छोटी मोहल्ला स्तर की पार्टियां आज अपना-अपना घोषणापत्र ऐसे बांच रहे हैं मानो केन्द्र में सरकार इनकी ही बनने व...
भावपूर्ण रचना!
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
वाह!! बेहतरीन भावाव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंपतझड़ के सूखे पत्तों पर
जवाब देंहटाएंउसकी आहट
jeene ka sabab milta hai